'); ब्रह्म का साक्षात्कार करवाने की समर्था एक पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरू में होती है - साध्वी त्रिनैन्ना भारती जी

ब्रह्म का साक्षात्कार करवाने की समर्था एक पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरू में होती है - साध्वी त्रिनैन्ना भारती जी

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ब्रह्म को जानने की बात जब आती है तब मानव इस विषय को कल पर टाल देता है- साध्वी त्रिनैन्ना भारती जी

जालंधर:- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर में एक दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया जिसमें श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी त्रिनैन्ना भारती जी ने बताया कि समस्त संसार के अंदर हमें जो कुछ दिखाई देता है जड़ अथवा , चेतन ,लघु अथवा दीर्घ सब कुछ परमात्मा द्वारा बनाई गई सृष्टि का ही अंग है ।इन सभी रचनाओं का उनके गुणों उनकी विशेषताओं इत्यादि के आधार पर आकलन करेंगे तो पाएंगे कि मानव ही परमात्मा की सर्वोत्तम कृति है ।इसीलिए नहीं की आज उसने भौतिक जगत में अनेको उपलब्धियां हासिल की । लेकिन मात्र मानव देह एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से परमात्मा की प्राप्ति संभव है । लेकिन इस अनुपम साधन को पाने के उपरान्त अधिकांश मनुष्य ब्रह्मा की अपेक्षा उसकी बनाई गई क्षण भंगुर रचनाओं को जानने में ही समय गंवा देता है ।

ब्रह्म को जानने की बात जब आती है तब मानव इस विषय को कल  पर टाल देता है ।वह इस बात को भूल जाता  है कि उसका यह जीवन पल प्रतिपल कम होता जा रहा है ,ओर पल प्रति पल उसका जीवन मृत्यु की ओर बढ़ रहा है ।अंत में वह दिन आ जाता है कि उसकी आयु का अंतिम दिन होता है ।वह परमात्मा को जाने बिना ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है ।जिसमें उसके जीवन का उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाता और वह प्रभु भक्ती से वंचित रह जाता है ।हमें अपने जीवन के उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए जीवित रहते हुए ही उस ब्रह्म को जानना होगा । साध्वी जी ने कहा की सच्ची जिज्ञासा द्वारा ही व्यक्ति परमात्मा की खोज की ओर बढ़ता है और जब खोज सच्ची होती है तब जीवन में गुरु रुपि राह मिलती है ।जिसके ऊपर चलकर एक मानव अपने जीवन के उद्देश्य को पूर्ण कर पाता है क्योंकि ब्रह्म का साक्षात्कार करवाने  की समर्था एक पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरू में होती है ।
अंत में साध्वी बहनों द्वारा सुमधुर भजनों का गायन किया गया ।

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