जालंधर:- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एवं श्री कृष्ण मुरारी मंदिर, गोपाल नगर, जालंधर की ओर से तीन दिवसीय आयोजित कार्यक्रम "या देवी सर्वभूतेषु" के अंतिम दिवस में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुश्री मेधावी भारती जी बताया कि पंचम नवरात्रि के दिन देवी भगवती के स्कंद माता स्वरूप की पूजा होती है। मां का यह स्वरूप सात्विक शक्ति का प्रतीक है।
मां की गोद में उनका पुत्र स्कंध है। जिन्हें देवताओं का सेनापति कहा जाता है। तारकासुर के आतंक से देवता गण भयभीत थे। उसका कोई अंत नहीं कर सकता था। क्योंकि उसे वरदान प्राप्त था कि उसका अंत केवल मात्र भगवान शिव के पुत्र के माध्यम से ही हो सकता था।
उनका भय दूर करने के लिए सात्विक शक्ति के रूप में मां ने उन्हें स्कंध जैसा पुत्र प्रदान किया था। जिनका नाम था कुमार कार्तिकेय। स्कंद का अर्थ होता है प्रकाश और असुर का अर्थ है अंधकार। अंधकार को समाप्त करने के लिए प्रकाश की जैसे आवश्यकता होती है।
ठीक इसी प्रकार जीवन में भी अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए ब्रह्म ज्ञान स्वरूप स्कंद की आवश्यकता होती है। अतः आवश्यक है कि हम एक तत्वदर्शी गुरु के सानिध्य में पहुंचकर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करें। ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने के बाद हमारी सोई चेतना जाग जाएगी। यही चेतना अर्थात कुमार कार्तिकेय का मन के धरातल पर प्रकटीकरण है। फिर यही जागृत चेतना भीतरी विकारों रूपी असुरों के विरोध में महायुद्ध का बिगुल बजाती है। कथा को मां भगवती की पावन आरती करके विश्राम दिया गया।
आरती में विशेष रूप मे स्वामी सज्जानंद जी ,साध्वी पल्लवी भारती जी, साध्वी पुनम भारती जी, साध्वी कंचनमुक्ता भारती जी, अंजली भगत पार्षद, दविंदर रॉनी पार्षद, जिम्मी कालिया, रूपाली भगत प्रधान भारतीय तिब्बत सहयोग मंडली, अजय मल्होत्रा जिला प्रभारी पतंजली, अश्वनी कुमार जनरल सेक्रेटरी एस सी मोर्चा, जनक राज सरकारी अध्यापक, विनोद खन्ना प्रधान खन्ना बगीची मंदिर, सतीश सभरवाल, नितिन सभरवाल, बनारसी दास प्रधान कमल विहार वेलफेयर सोसाइटी, हैप्पी,पुरषोत्तम हैप्पी, रमन शर्मा, गुरबक्श मदन, डॉक्टर बी डी शर्मा, जिम्मी कालिया, गुलशन अरोड़ा, जैजी शर्मा, इंदरजीत चावला, दविंदर सिंह, अजय भारद्वाज, खुशपाल सिंह झंडू, सोनू कालिया और श्री कृष्ण मुरारी मंदिर के सभी सदस्य शामिल थे।