'); अगर भविष्य को सुंदर बनाना है तो अपने बच्चों को संस्कार दे, संस्कृति के साथ जोड़े-साध्वी दिवेशा भारती जी

अगर भविष्य को सुंदर बनाना है तो अपने बच्चों को संस्कार दे, संस्कृति के साथ जोड़े-साध्वी दिवेशा भारती जी

Chief Editor
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आज हमे भी अपने बच्चों को संस्कृति के साथ जोड़ना चाहिए-साध्वी दिवेशा भारती जी

रईया (अमृतसर):-दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से श्री राम वाडा मन्दिर रईया मे  पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। जिसके तृतीय दिवस दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य साध्वी दिवेशा भारती जी ने कृष्ण (विट्ठल)भक्त नामदेव जी की जीवन गाथा को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि नामदेव जी बाल्यकाल से ही भगवान कृष्ण के मंदिर में जाते थे। वो भगवान के साथ बातें करते, हलवा पूरी का भोग लगाते। भगवान भी उसके निश्छल प्रेम के कारण कई बार उसके सामने प्रकट हुए।


गुरु शरण को धारण करना एक मानव के लिए अति आवश्यक-साध्वी दिवेशा भारती जी

 लेकिन जब नामदेव जी बड़े हो जाते है तो स्वयं भगवान उसको कहते है कि नामा तुझे एक पूर्ण गुरु की शरणागत होना पड़ेगा। यह सृष्टि का बनाया हुआ एक नियम है , प्रभु कहते है कि नामा जब हम भी दुवापर युग में आए थे तो हम ने भी गुरु धारणा की थी ।

कथा में विशेष रूप में स्वामी रणजीतानंद जी, साध्वी संदीप भारती जी, स.मनजीत सिंह मंना (भूतपूर्व विधायक, अध्यक्ष बीजेपी अमृतसर ग्रामीण),श्री के.के. शर्मा,श्री अमित शर्मा (अध्यक्ष नगर पंचायत रईया),श्री रामलुभाया पार्षद,श्री रोबिन पार्षद,श्री उदय कुमार(जनरल सेक्टरी बीजेपी अमृतसर ग्रामीण),श्री राजेश कुमार(मंडल अध्यक्ष बीजेपी रईया)

                      नामदेव जी को जब प्रभु ने ईश्वर मिलन के नियम के बारे में बताया तो वो समझ गया और विशोभा खेचर जी की शरणागत हो कर उसने भगवान कृष्ण को अपने आंतरिक जगत में तृतीय नेत्र के द्वारा देख लिया। ऐसा होने के बाद ही असली भक्ति की शुरआत होती है। 
            
             साध्वी जी ने कहा कि गुरु शरण को धारण करना एक मानव के लिए अति आवश्यक है क्योंकि गुरु कृपा को प्राप्त कर एक जिज्ञासु भव सागर से पार हो सकता है। भगवान श्री राम जी, भगवान श्री कृष्ण जी जब इस धरा धाम पर आए तो उन्होंने भी इस नियम की पालना की। उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति को संदेश दिया कि जीवन में गुरु का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा के भगवान श्री कृष्ण जी का जीवन हमे बहुत कुछ सिखाता है।उनका जीवन हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ था , इसीलिए आज हमे भी अपने बच्चों को संस्कृति के साथ जोड़ना चाहिए। आज के बच्चे आने वाले समय का भविष्य है। अगर भविष्य को सुंदर बनाना है तो बच्चों को संस्कार दे, संस्कृति के साथ जोड़े। इसी प्रकार से एक सुदृढ़ समाज की रचना हो सकती है।

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