'); शक्ति संपन्न जागृत साधक ही अपने ज्ञान के तेजपुंज से समाज की आसुरी शक्तियों का संहार कर सकते हैं - साध्वी भावअर्चना भारती जी

शक्ति संपन्न जागृत साधक ही अपने ज्ञान के तेजपुंज से समाज की आसुरी शक्तियों का संहार कर सकते हैं - साध्वी भावअर्चना भारती जी

Chief Editor
0

समाज में आज भी चण्ड-मुण्ड जैसे दानव खुले घूम रहे हैं - साध्वी भावअर्चना भारती जी 

 जालंधर:- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा ढिलवां, रामामंडी, जालंधर में जागरण का आयोजन किया गया। जिस में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संचालक एवं संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी शिष्या  साध्वी भावअर्चना भारती जी ने मां की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि सैंकड़ों वर्षों पहले मधु-कैटभ, महिषासुर, चण्ड-मुण्ड आदि नाम के दैत्य हुए हैं। उनका संहार करने के लिए दैवी शक्ति को महिषासुरमर्दिनी आदि संहारक रूप में प्रकट होना पड़ा। समर सजे। रणभेरियां बजी। रक्तपात हुआ। इन दानवों का सर्वनाश हुआ।
 इस सृष्टि की समस्त शक्तियों को जगाने वाली सत्ता श्री सद्गुरू देव ही हैं - साध्वी भावअर्चना भारती जी 

 परंतु वर्तमान समाज में देखे तो आज भी चण्ड-मुण्ड जैसे दानव खुले घूम रहे हैं। रक्त बीज जैसे आतंकवादी जिनमें से एक मरता है तो सैकड़ों जिंदा हो उठते हैं। मधु-कैटभ जैसे भ्रष्टाचारी, स्वार्थलोलुप सत्ताधारी समाज का पतन कर रहे हैं। इन दैत्यों का संहार करने के लिए भी दिव्य शक्ति का प्रकटीकरण आवश्यक है। साध्वी जी ने बताया कि मन के अंतःकरण में उठने वाले दुर्विचार ही दैत्य समतुल्य है। दिव्य शक्तियां भी इंसान के अंत:करण में सुषुप्त पड़ी हैं। इन्हें जागृत करने की जरूरत है। इस सृष्टि की समस्त शक्तियों को जगाने वाली सत्ता श्री सद्गुरू देव ही हैं क्योंकि पूर्ण गुरूदेव जब हमें ब्रह्मज्ञान से दीक्षित करते हैं तो उसी समय हमें अंतर्जगत में दिव्य सत्ताओं का दर्शन कराते हैं।

 
मधु-कैटभ जैसे भ्रष्टाचारी, स्वार्थलोलुप सत्ताधारी समाज का पतन कर रहे हैं- साध्वी भावअर्चना भारती जी

हमारी आंतरिक दैवी शक्तियों को जागृत कर देते हैं। तत्पश्चात शक्ति संपन्न जागृत साधक ही अपने ज्ञान के तेजपुंज से समाज की आसुरी शक्तियों का संहार कर सकते हैं और नवयुग का सृजन कर सकते हैं। जागरण में साध्वी बहनों ने भेटों का गायन कर संगत को निहाल किया। इस अवसर पर स्वामी सज्जनानंद,साध्वी पल्लवी भारती और भी श्रद्धालुगण मौजूद थे। 
जागरण को मां की पावन आरती से विश्राम दिया।

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)