जब-जब भी समाज में अत्याचार, भ्रष्टाचार, पापाचार में वृद्धि हुई तब तब वह परमतत्व इस धरा पर समाज के कल्याण हेतु साकार रूप लेकर आया - साध्वी सुश्री सौम्या भारती जी
श्री राम जी का जन्म व उनकी लीलाएँ दोनों ही दिव्य हैं, श्री राम अनादि हैं जिन्हें किसी देश काल या जाति की संकीर्ण परिधि में नहीं बाँधा जा सकता । वह परमात्मा जो अखंड है उनके अवतरण के पीछे कुछ ऐसी परिस्थितियाँ होती हैं जिनके वशीभूत वह परमसा इस धरा पर अवतरित होती है। जब-जब भी समाज में अत्याचार, भ्रष्टाचार, पापाचार में वृद्धि हुई तब तब वह परमतत्व इस धरा पर समाज के कल्याण हेतु साकार रूप लेकर आया और समाज को एक नई दिशा प्रदान की ।
मानव मन को शान्त करने का कारगर सूत्र-ब्रह्मज्ञान है - साध्वी सुश्री सौम्या भारती जी
यदि वर्तमान समय में देखा जाए तो आज समाज की स्थिति बहुत दयनीय नज़र आती है। आज अधर्म के साए तले तमाम ऐसी कुरीतियाँ, बुराईयाँ पनप रहीं हैं, जो एक इन्सान को इन्सान नहीं रहने देती बलिक उन बुराईयों ने इन्सान को एक दानव की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। आज एक बार फिर ज़रूरत है समाज को ऐसी अवतरित शक्ति की जो दिशा विहीन मानवीय इकाई को दिशा प्रदान करके समाज में शांति को स्थापित कर सकें । और आज इस अशांत विश्व को शांत करने का सामथर्य यदि किसी में हैं तो केवल एक पूर्ण सतगुरू मे जो एक इन्सान के भीतर उसे ईश्वर का साक्षातकार करा कें।जिस समय एक तत्वदर्शी सद्गुरु का हमारे जीवन में पदापर्ण होता है तो वह हमें प्रभु के प्रकाश रूप का दर्शन हमारे भीतर ही करवा देते हैं - साध्वी सुश्री सौम्या भारती जी
जब एक व्यक्ति ईश्वर का साक्षातकार कर उस मार्ग पर चलता हैं तभी वो सही अर्थों में मानव बन पाता है। साध्वी जी ने कहा कि मानव मन को शान्त करने का कारगर सूत्र-ब्रह्मज्ञान है, जिस समय एक तत्वदर्शी सद्गुरु का हमारे जीवन में पदापर्ण होता है तो वह हमें प्रभु के प्रकाश रूप का दर्शन हमारे भीतर ही करवा देते हैं। भक्ति मार्ग पर अग्रसर होकर ही मनुष्य के भीतर सकारात्मक परिवर्तन का आरम्भ होता है। कार्यक्रम के अंतर्गत चौपाईयों का गायन किया गया और अंत में प्रभु चरणों में आरती की गई।