'); आंतरिक रामराज्य ही बाहरी राम राज्य का आधार है- साध्वी सौम्या भारती जी

आंतरिक रामराज्य ही बाहरी राम राज्य का आधार है- साध्वी सौम्या भारती जी

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जालंधर:-  दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा जालंधर कैंट में प्रभु  श्री राम जी को समर्पित एक "भजन प्रभात " कार्यक्रम आयोजित किया गया इसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सौम्या भारती जी ने आध्यात्मिक प्रवचन किए।
साध्वी जी ने बताया कि भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ भगवान श्री राम का जीवन चरित्र समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। सदा उचित कृत्यों को करने वाले व्यक्तित्व के धनी श्री राम का अनुसरण करके ही मानवता श्रेष्ठता को छू सकती है। श्री  राम की चरित्र को धारण कर हर क्षेत्र में सफलता के गगनचुंबी लक्ष्य पाए जा सकते हैं। श्री राम के जीवन चरित्र के मुख्य अंग उनके सद्गुण  शौर्य,धीरज,सत्य,शील, दृढ़ता,बल,विवेक,परोपकार, समता,कृपा और क्षमता है। इन्हीं सद्गुणों के आधार पर विकारों रूपी रावण का वध करके ही राम राज्य की स्थापना की जा सकती है। ऐसा अलौकिक राज्य जहां हर कोई दैहिक,दैविक एवं भौतिक ताप से मुक्त हो।सभी मनुष्य परस्पर प्रेम करें और सभी नीति युक्त धर्म का पालन करते हुए आगे बढ़े। समाज में राम राज्य तब तक पूरी तरह स्थापित नहीं हो सकता,जब तक इसमें रहने वाले मानव हृदय में ही राम राज्य स्थापित न हो जाए। 
आंतरिक रामराज्य ही बाहरी राम राज्य का आधार है। यह मानव  देह आठ चक्रों व नवद्वारों से परिपूर्ण अयोध्या नगरी है । इस आंतरिक अयोध्या में अखंड राम राज्य को स्थापित करने के लिए दो चरणों से गुजरा जरूरी है। पहला भीतरी अयोध्या में व्याप्त दुष्प्रवृत्तियों रूपी असुरों का हनन ।दूसरा राम का आंतरिक सत्ता पर राज्याभिषेक। उसके लिए पूर्ण सतगुरु से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर ईश्वर का साक्षात्कार करना अति आवश्यक है। भीतर श्री राम रूपी सूर्य के उदित होने के बाद ही हमारी आंतरिक हृदय नगरी असुर विहीन हो पाती है। ऐसे शांत मनोराज्य में ही श्री राम सत्तारूढ़ होते हैं। अर्थात एक विकार रहित हृदय में ही राम का शासन स्थापित हो पाता है। ऐसा सुव्यवस्थित शासन जिसमें राम के प्रकाश से जागृत हुई आत्मा जीव को प्रत्येक कार्य में सकारात्मक दिशा प्रदान करती है।जिनके भीतर ऐसे आंतरिक रामराज्य की स्थापना हो जाती है, वही फिर  बाह्य समाज में भी राम राज्य की स्थापना हेतु एक इकाई का काम कर सकते हैं। यही इकाइयां संगठित होकर संपूर्ण विश्व को राम राज्य में परिवर्तित कर सकते में सक्षम है।
कार्यक्रम के अंत में प्रभु श्री राम जी के चरणों में पावन आरती का गायन किया गया एवं कार्यक्रम के दौरान साध्वी बहने साध्वी मंगलावती भारती, साध्वी हरिअर्चना भारती, साध्वी पुष्पभद्रा भारती, साध्वी बीना भारती जी के द्वारा सुमधुर भजनों का गायन किया गया।

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