जालंधर:- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा बैंक कालोनी, बूटा मंडी, जालंधर में जागरण किया गया। जिसमें संस्थान के संस्थापक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सोमा भारती जी के द्वारा भगवती मां का गुणगान गया, जिसमे भक्तों ने भक्तों ने मां की महिमा को श्रवण किया। जागरण में साध्वी जी ने बताया कि मां के नौ रूपों में देवी भगवती का स्कंद माता स्वरूप है । मां का यह स्वरूप सात्विक शक्ति का प्रतीक है। मां की गोद में उनका पुत्र स्कंध है। जिन्हें देवताओं का सेनापति कहा जाता है तारकासुर के आतंक से देवता गण भयभीत थे। उसका कोई अंत नहीं कर सकता था। क्योंकि उसे वरदान प्राप्त था कि उसका अंत केवल मात्र भगवान शिव के पुत्र के माध्यम से ही हो सकता था। उनका भय दूर करने के लिए सात्विक शक्ति के रूप में मां ने उन्हें स्कंध जैसा पुत्र प्रदान किया था। जिनका नाम था कुमार कार्तिकेय। स्कंद का अर्थ होता है प्रकाश और असुर का अर्थ है अंधकार। अंधकार को समाप्त करने के लिए प्रकाश की जैसे आवश्यकता होती है। ठीक इसी प्रकार जीवन में भी अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए ब्रह्म ज्ञान स्वरूप स्कंद की आवश्यकता होती है। अतः आवश्यक है कि हम एक तत्वदर्शी गुरु के सानिध्य में पहुंचकर ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करें। ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने के बाद हमारी सोई चेतना जाग जाएगी। यही चेतना अर्थात कुमार कार्तिकेय का मन के धरातल पर प्रकटीकरण है। फिर यही जागृत चेतना भीतरी विकारों रूपी असुरों के विरोध में महायुद्ध का बिगुल बजाती है।
साध्वी जी ने तारा रानी की कथा सुनाई और समापन पर मां भगवती के श्री चरणों में साध्वी पुष्पभद्रा भारती, साध्वी करालिका भारती, साध्वी प्रभुज्योति भारती, साध्वी सतेंद्र भारती, साध्वी सुखदीप भारती, साध्वी संदीप भारती जी के द्वारा आरती का गुणगान किया गया।