'); जब मानव के भीतर इस ब्रह्म ज्ञान की अग्नि प्रज्वलित हो जाएगी तो उनके भीतर की सारी बुराइयां खत्म हो जाएंगी - साध्वी रुपिंदर भारती जी

जब मानव के भीतर इस ब्रह्म ज्ञान की अग्नि प्रज्वलित हो जाएगी तो उनके भीतर की सारी बुराइयां खत्म हो जाएंगी - साध्वी रुपिंदर भारती जी

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जालंधर:- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रुपिंदर भारती जी ने विचारों के माध्यम से बताया कि आज समाज नफरत व स्वार्थ जैसी कुरीतियों से ग्रस्त है और मानवीय अचार विचार मानवीय निष्ठाओं का गला घोट रहे हैं । ऐसा नहीं है कि समस्याओं के समाधान हेतु कोई प्रयास नहीं किए जा रहे निरंतर कोशिश जारी हैं । पर परिणाम सामने नहीं आ रहे आखिर क्या कारण है? दरअसल प्रयास तो मौजूद है परंतु सही दिशा का अभाव है हमें खत्म करना था बुराइयों को लेकिन हमने खत्म किए बुरे लोग। आप सोच रहे होंगे कि इसमें गलत क्या है यदि कोई हम पर वार करेगा तो हम हाथ पर हाथ रखकर देखते तो नहीं रहेंगे निस्संदेह पहले दृष्टि में यही एकमात्र और विवेक युक्त कदम प्रतीत होता है। जरा एक बार ध्यान से सोच कर देखिए ऐसा करने से जहां एक बुरा व्यक्ति मरा वही चार और पैदा हो गए ।क्योंकि ऐसा करना तो ठीक वैसे ही जैसे एक रोगी के रोग को कुछ समय के लिए दबा देना ।जैसे एक जंगली पौधा उग गया हो और पौधे नहीं विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लिया हो उस पर फूल आए फल आए परंतु सब के सब जहरीले। 

अब अगर हम सोचे कि उस वृक्ष के अस्तित्व को खत्म कर दें और अगर हम केवल फल फूल उसकी टहनियां या तने को ही नष्ट कर देंगे तो वह वृक्ष कभी नष्ट नहीं होगा ।वह दोबारा से फिर खड़ा हो जाएगा। अगर हम वृक्ष को पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं तो इसके लिए अवश्य है कि हम उसे जड़ से ही उखाड़ दे और इसी प्रकार अगर समाज में हमने बुराइयों को खत्म करना है तो इस बुराइयों को खत्म करने के लिए हमें उसकी जड़ तक जाना होगा और यह जड़ तक पहुंचने का माध्यम केवल और केवल ब्रह्म ज्ञान है । साध्वी जी ने कहा जब मानव के भीतर इस ब्रह्म ज्ञान की अग्नि प्रज्वलित हो जाएगी तो उनके भीतर की सारी बुराइयां खत्म हो जाएंगी और एक सर्वश्रेष्ठ मानव का निर्माण होगा जो इस समाज को आगे लेकर जाएगा । इसलिए इस समाज को आगे लेकर जाने के लिए धर्म की स्थापना के लिए ब्रह्म ज्ञान की बहुत जरूरत है। अंत में साध्वी बहनों के द्वारा सामधुर भजनों का भी गायन किया गया।

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