'); महापुरष ब्रह्मज्ञान या ब्रह्मविद्या के माध्यम से वे प्रत्येक व्यक्ति के भीतर स्थित अविनाशी सत्य आत्मा को प्रकट करते हैं - साध्वी पल्लवी भारती जी

महापुरष ब्रह्मज्ञान या ब्रह्मविद्या के माध्यम से वे प्रत्येक व्यक्ति के भीतर स्थित अविनाशी सत्य आत्मा को प्रकट करते हैं - साध्वी पल्लवी भारती जी

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जालंधर:-दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी पल्लवी भारती जी ने विचारों के माध्यम से बताया कि महापुरष जब धरती पर आते हैं, तो उनका एकमात्र ध्येय होता है- जन-जन को परम सत्य का साक्षात्कार कराना। वे जीवन-पर्यन्त इस कार्य के लिए तत्पर रहते हैं। ब्रह्मज्ञान या ब्रह्मविद्या के माध्यम से वे प्रत्येक व्यक्ति के भीतर स्थित अविनाशी सत्य आत्मा को प्रकट करते हैं। यही वह संजीवनी औषधि है, जिससे वे जन-समाज में व्याप्त पाप-ताप नष्ट करते हैं। साध्वी जी ने बताया कि सारा समाज तो नहीं परन्तु अधिकतर लोग ऐसे ही होते हैं जो अपनी आंखों में शांतमय संसार का स्वप्न समाए रखते हैं, जो देखते हैं कि समाज पल -प्रतिपल टूट-बिखर है, समस्याएं जोंक की तरह उसका खून चूस रही हैं। साध्वी जी ने बताया कि मानव जीवन्त होते हुए भी आज प्राण विहीन है। 

आनंद का सागर होते हुए भी सुख के एक कतरे को तरस रहा है। मनुष्य के भीतर प्रकाश की आभा है पर फिर भी वह अंधेरों में भटक रहा है, और इसी विलगता के कारण निरंतर दुखों के भंवर में फंसता व अशांत होता जा रहा है। मानव मन की शांति ही विश्व शांति का आधार है, उसके भीतर के परिवर्तन से ही समाज में परिवर्तन संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि मानव मन को शान्त करने का कारगर सूत्र-ब्रह्मज्ञान है, जिस समय एक तत्वदर्शी सद्गुरु का हमारे जीवन में पदापर्ण होता है तो वह हमें प्रभु के प्रकाश रूप का दर्शन हमारे भीतर ही करवा देते हैं। भक्ति मार्ग पर अग्रसर होकर ही मनुष्य के भीतर सकारात्मक परिवर्तन का आरम्भ होता है। सत्संग के दौरान रीता भारती और वसुधा भारती जी ने भजनों का गायन किया ।

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